फिर से नम आँखें ,दो रोटी की मोहताज , एक हाथ में कलम ,दूजे हाथ में कई राज़। फिर से नम आँखें ,दो रोटी की मोहताज , एक हाथ में कलम ,दूजे हाथ में कई राज़।
सफलता धार है सागर की, किनारों से इक दिन टकराएगी !!! सफलता धार है सागर की, किनारों से इक दिन टकराएगी !!!
"कागज़ भी जब खिल जाते हैं, स्याही से जब भर जाते हैं...! "कागज़ भी जब खिल जाते हैं, स्याही से जब भर जाते हैं...!
तोड़ आलस की दीवार , खुली आँखों से देख स्वपन। तोड़ आलस की दीवार , खुली आँखों से देख स्वपन।
खुद का महत्व समझा के दौड़ती रहती हैं। खुद का महत्व समझा के दौड़ती रहती हैं।
ऋषि भी इरफान के साथ मुल्क छोड़ चले।। ऋषि भी इरफान के साथ मुल्क छोड़ चले।।